जब अस्मां ने दिल खोलकर मोती बरसाया तो
मेरा मन ललचाया, सब भीग रहे थे, मुझे जला रहे थे
कोई मेरा हाथ पकरकर कोई मेरा पैर
मैं नही भीग सकता था
क्या करू बेबस था
और मौन था
मौन ....................................एक सन्नाटा ..........................................