Wednesday, April 6, 2011
Monday, March 21, 2011
anjana dar
इसे डर कह सकते हैं
जब उठ कर ऑफिस जाने जल्दी हो
जब ठण्ड में पानी के पास बैठ कर सोचना पड़े
जब किसी से इ लव यू बोलना पड़े
या बारिश से बचने के लिए दौड़ना पड़े
न जाने कितने अनजाने से डर है.
Monday, March 7, 2011
USKI YAD
उसकी याद तो एक किताब है
हर पन्ने पर एक नई कहानी लिखी है
मेरे उसके एक एक पल की कहानी
कभी गुस्साना कभी हंस के भाग जाना
उस दिन की बात जब उसकी बारात आयी
और वो किसी के साथ चली गयी
मेरा गम सुम हो जाना और बनावट का मुस्कराना
आज भी कभी कभी वो किताब पढ़ता हूँ
खुद से ही मुस्कुराता हु और चुप हो जता हू.
Monday, February 28, 2011
ANJAN RASTA
कभी कभी यूँ अनजान रास्तों पर
यूँ ही निकलता हूँ , कुछ लोग रस्ते में मिलते हैं
कुछ घर ,पर समझना कठिन है की रास्ता कौन सा है
................................................................................कभी लगता है की सब कुछ रस्ते पर है पर कभी कभी कुछ लगता है की मैं खुद ही भटक गयां हूँ .....................................................................................................................................समझना कठिन है.
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