किसी से हमे प्यार है
किसीका इंतजार है
लोग कहते हैं
वो भी हमे चाहते हैं
और हमे इस बात का एतबार है
दिल का सुकून, यादो की बारात
और उनका इंतजार कब्र तक ,
हमे किसी से प्यार है.
Saturday, April 25, 2009
कुच लिखने का मन है
कुछ लिखने का मन है,
मन की खामोशी से
दिल की गहराई से
कुछ लिखने का मन हँ
उनकी याद आयी तो
कुछ कहने का मन है
वो खिलता हुआ केसर का फूल
चेहरे की रंगत, मन का सुरूर
सब कुछ याद आता हँ फिर कुछ लिखने का मन है
अगर लिखना हो तो चुप रहना बेहतर होता हँ
इसलिए चुप हूँ.
और चुप रहने का मन hai
मन की खामोशी से
दिल की गहराई से
कुछ लिखने का मन हँ
उनकी याद आयी तो
कुछ कहने का मन है
वो खिलता हुआ केसर का फूल
चेहरे की रंगत, मन का सुरूर
सब कुछ याद आता हँ फिर कुछ लिखने का मन है
अगर लिखना हो तो चुप रहना बेहतर होता हँ
इसलिए चुप हूँ.
और चुप रहने का मन hai
Wednesday, April 22, 2009
प्रबन्धन की क्लास में धर्म युद्ध
आज की क्लास में क्रॉस कल्चरल मार्केटिंग पर डिस्कसन हो रहा था, एक मुसलमान स्टुडेंट ने teacher का प्रतिरोध किया। रवि सर का कहना था की इस्लाम धर्म संकीर्ण bichardhara रखता हँ। सफीक का कहना था की नही। बहुत देर तक डिस्कसन होता रहा । मै सोचता हूँ की हर धर्म में कुछ अच्छी बाट हँ, ल्र्किन इस्लाम में बंदिशें ज्यादा हाँ। सफ़क पर्दा प्रथा पर बोलती रही सर बुर्के पर लेकिन मै समझता हूँ की धर्म में भी वही हँ जो समय की मांग थी जब जरूरत थी तब पर्दा जब जरूरत थी तब बुरका। अभी किसी की जरूरत नही हँ।
जरूरत मन की
मैंने आज कुछ लिखने का मन बनाया तो मेरे एक मित्र ने कहा की ब्लॉग पर क्यों नही लिखते सो मैंने ब्लॉग पर लिखना शुरू किया। ये भी एक अजीब सी बात हँ की कोई कहाँ लिखे? कुछ लोग मानस पटल पर लिखते हँ और बहुत कुछ लिखते हँ कुछ लोग कागज पर लिखते हँ। लेकिन मैं KUMPUTER पर लिख रहा हूँ.मानव अपने विकास के करमा में इतना आगे निकल चुका हँ की वह कंप्यूटर पर लिखना ज्यादा पसंद करता हँ। क्या मानव मशीन बन गया हँ.पता नहीं?सोच रहा हूँ पहले ब्लॉग की सेटिंग कर लूँ फिर लिखता हूँ.वैसे ढेर सारी बातें हाँ लेकिन कहाँ से शुरू करूं समझ नही आ रहा हँ फिर भी शुरू तो करना ही होगा।
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