Saturday, April 25, 2009

कुच लिखने का मन है

कुछ लिखने का मन है,
मन की खामोशी से
दिल की गहराई से
कुछ लिखने का मन हँ
उनकी याद आयी तो
कुछ कहने का मन है
वो खिलता हुआ केसर का फूल
चेहरे की रंगत, मन का सुरूर
सब कुछ याद आता हँ फिर कुछ लिखने का मन है
अगर लिखना हो तो चुप रहना बेहतर होता हँ
इसलिए चुप हूँ.
और चुप रहने का मन hai

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