कुछ लिखने का मन है,
मन की खामोशी से
दिल की गहराई से
कुछ लिखने का मन हँ
उनकी याद आयी तो
कुछ कहने का मन है
वो खिलता हुआ केसर का फूल
चेहरे की रंगत, मन का सुरूर
सब कुछ याद आता हँ फिर कुछ लिखने का मन है
अगर लिखना हो तो चुप रहना बेहतर होता हँ
इसलिए चुप हूँ.
और चुप रहने का मन hai
its a nice poem
ReplyDeletesandeep