कॉलेज जहाँ हम रोज जाने की कोशिस करते हाँ और कुछ लोग रोज जाते भीं हाँ कुछ यूँ हुआ की दो तथाकथित छात्रों के बीच में वाक्युद्घ हुआ। उस वाकयुद्ध में मुझे एक बात की कमी खलीआरोप तो jansnghiyon की तरह लगाया जा रहा था लेकिन कोई कम्यूनिस्ट नही था । वास्तव में कम्यूनिस्ट इसीलिए अच्छे लगते हाँ की सारी समस्याएं उनके पास होती हँ लेकिन उनका हल उनके पास नही होता है लेकिन आज उन समस्यायों का हल निकल आया। वास्तव में कभी कभी समस्यायों का हल न निकले तो ही अच्छा होता है । जैसे तास्कंद समझौता नहीं हुआ होता तो अच्छा था । फिर भी मुझे एक अच्छी बात लगी । लार्कियों से वाकयुद्ध krne का अपना mja होता है ।
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