Wednesday, May 6, 2009

यूँ ही

यूँ ही कभी कभी कुछ लिखने का मन करता हैवास्तव में लिखने का मन होताहै लेकिन कभी कभी लिखते हुए कुछ नही भी लिखने का मन करता हैमै आज कालेज में हूँ रोज की तरह धुप में नहीहोता ये हा की मार्केटिंग की नौकरी में सिर्फ़ झूठ बोला जाता है जिसे हम व्यावसायिक भाषा में व्यावसाय कहा जाता हैकल भी नही जा पाउँगा क्यूंकि कल दिल्ली में चुनाव है। जहाँ तक मै सोचता हूँ चुनाव के बाद नौकरी की समस्या और बढ़ जायगी

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