जब अस्मां ने दिल खोलकर मोती बरसाया तो
मेरा मन ललचाया, सब भीग रहे थे, मुझे जला रहे थे
कोई मेरा हाथ पकरकर कोई मेरा पैर
मैं नही भीग सकता था
क्या करू बेबस था
और मौन था
मौन ....................................एक सन्नाटा ..........................................
its quit refereshment
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteआप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
ReplyDeleteलिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी